सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बने गुकेश, 18 की उम्र में रच डाला इतिहास

नई दिल्ली
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। लिरेन को हराकर वह सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बन गए। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने इतिहास रच दिया। 6.5 अंको के साथ खेल की शुरुआत हुई थी। अंतिम मैच भी ड्रॉ की तरफ बढ़ता दिख रहा था कि तभी लिरेन की एक गलती उनके लिए भारी पड़ गई और गुकेश को जीत दिला गई। भारतीय युवा स्टार ने लिरेन को 7.5-6-5 से हराकर विश्व खिताब अपने नाम किया। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है।

गुकेश ने 18 साल आठ महीने 14 दिन की उम्र में यह खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 22 वर्ष छह महीने 27 दिन की उम्र में खिताब जीता था। गुकेश से पहले भारत के विश्वनाथन आनंद (2000-2002 और 2007-2013) विश्व शतरंज चैंपियन रहे। गुकेश के लिए साल का अंत शानदार रहा है। इस साल वे कई और खिताब जीते, जिनमें कैंडिडेट्स 2024 टूर्नामेंट और शतरंज ओलंपियाड शामिल है, जिसमें उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था।

दुनिया को कई बार चौंका चुके गुकेश
शतरंज की दुनिया की नई सनसनी 17 वर्षीय गुकेश ने अपने करियर में कई बार दुनिया को चौंकाया है। वह इस छोटी सी उम्र में कई रिकॉर्ड बना चुके हैं। वह 12 साल, सात महीने, 17 दिन की उम्र में भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए थे और दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर का टैग केवल 17 दिनों से चूक गए थे। उन्होंने पिछले साल पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को पछाड़कर 36 साल बाद पहली बार देश के शीर्ष रैंकिंग खिलाड़ी के रूप में प्रवेश किया। अब उन्होंने उस प्रभावशाली सूची में एक और उपलब्धि जोड़ दी है। कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतने के साथ ही गुकेश 40 साल पहले महान गैरी कास्पारोव द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड को तोड़ते हुए विश्व खिताब के लिए सबसे कम उम्र के चैलेंजर बन गए। रूस के पूर्व महान कास्पारोव 22 साल के थे जब उन्होंने 1984 में हमवतन अनातोली कारपोव के साथ भिड़ने के लिए क्वालिफाई किया था।

तकनीकी इंजनों से दूर रहे गुकेश, ऐसे की तैयारी
भारत में कम उपलब्धि पर ही स्टारडम हासिल करने वाले खिलाड़ियों के बीच गुकेश की पहचान तब तक छुपी रही जब तक उन्होंने अपने करियर में 2500 की रेटिंग पार नहीं कर ली। वह तकनीकी इंजनों से दूर रहे और अपनी तैयारी के लिए कंप्यूटर का कम से कम इस्तेमाल किया। गुकेश के इस तरीके की भारत के महानतम चेस खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने भी तारीफ की थी। उन्होंने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था- गुकेश इस तरह की सोच रखने वाले दुनिया के चुनिंदा खिलाड़ियों में हैं, जो अपने खेल के शीर्ष पर होने के बावजूद स्टार नहीं थे। यह एक बहुत ही स्वस्थ दृष्टिकोण है। महत्वपूर्ण बात यह थी कि उन्होंने सीधे किसी तरह का दृष्टिकोण नहीं अपनाया बल्कि अपने ट्रेनर की मदद ली। ऐसा ही होना चाहिए। एक खिलाड़ी को खेलने के स्किल पर ध्यान देना चाहिए और ट्रेनर उन्हें सबसे अच्छी जानकारी दे सकता है।

विष्णु ने गुकेश को दिलाई विश्वस्तरीय पहचान
गुकेश को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने वाले विष्णु प्रसन्ना खुद भी स्वीकार करते हैं कि यह एक जोखिम भरा कदम था। वह कहते हैं कि हमारा उद्देश्य बहुत सटीक होना और शतरंज के लिए अपने खुद के स्किल को विकसित करना था। जब आप खेल खेल रहे होते हैं, तो आप हमेशा पूरी तरह से निश्चित नहीं होते हैं। लेकिन अगर आप हमेशा कंप्यूटर से जांच कर रहे हैं तो यह आपको एक स्पष्ट परिभाषा देता है कि कोई कदम अच्छा है या बुरा। उस भ्रमित मानसिकता को दूर रखने के लिए हमने वह तरीका अपनाया। यह एक प्रयोग था। हमें नहीं पता था कि यह कैसे काम करेगा। मैंने सोचा कि यह एक उपयोगी प्रयोग होगा और चूंकि वह कभी स्थिर नहीं हुआ, इसलिए हमने इसे जारी रखा।

गुकेश का नंबर वन बनने का जुनून
विष्णु ने कहा- हमें कोई परेशानी नहीं हुई। वह दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बनने के काफी करीब थे। यह कहना मुश्किल है कि इंजनों (कंप्यूटर) के साथ काम करने से हमारे अवसरों में सुधार होता या नहीं (दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड जो गुकेश 17 दिनों से चूक गए)। हमें लगा कि वह अच्छा खेल रहा है। उस रिकॉर्ड के इतने करीब पहुंचना अपने आप में यह सबूत है कि वह अच्छा कर रहे थे। इसके अलावा वे कौन से पहलू हैं जो गुकेश को इतना अच्छा बनाते हैं? इस बारे में बताते हुए विष्णु ने कहा- वह अपने खेल के प्रति बेहद जुनूनी हैं। वह किसी और चीज के बारे में नहीं सोचते। बस एक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया। यह एक निश्चित जुनून है। मैंने जितने भी बच्चों के साथ काम किया है, उनमें से किसी ने भी वह जुनून नहीं दिखाया है जो गुकेश ने दिखाया है। खेल के बारे में जुनून और नंबर एक बनने की सनक।

2017 में विष्णु के साथ काम करना शुरू किया
गुकेश ने 2017 में विष्णु के साथ काम करना शुरू किया था, जब वह मुश्किल से 11 साल के थे। हालांकि, उन शुरुआती दिनों में विष्णु ने गुकेश ने विश्व नंबर एक और विश्व चैंपियन बनने के लिए प्रेरित किया था। विष्णु बताते हैं- शुरुआत में हम विश्व चैंपियन और नंबर एक बनने के बारे में बात करते थे। वह साढ़े 10 या 11 साल के रहे होंगे। वह सच में एक शानदार एथलीट है। हम शीर्ष स्तर पर खेलने जैसी परिस्थितियों के बारे में सोचते थे। मैं खुद उनसे यह बात करता था क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षाएं उस उम्र में भी मेरे लिए स्पष्ट थीं।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button